किसी के शरीर में बाहर से रक्त चढ़ाने की आवश्यकता तब पड़ती है ,जब शरीर में रक्त बनना बंद हो जाता है |ऐसे शरीरों के अंदर रक्त बनना यदि प्रारंभ न हो तो बाहरी रक्त चढ़ाकर किसी को लंबे समय तक स्वस्थ नहीं रखा जा सकता है | इसी प्रकार से बेचैनी घबड़ाहट आदि बढ़ती जा रही हो तो बनावटी हँसी खुशी हमें लंबे समय तक प्रसन्न नहीं रख सकते | अपने मन की बेचैनी घबड़ाहट परेशानी की वेदना को समाप्त करने का रास्ता खोजने के बजाय हम अपनी बेचैनी को दबाने में लगे रहते हैं | ऐसे थोड़ा बहुत तो समय बिताया जा सकता है किंतु बहुत लंबा समय नहीं बिताया जा सकता है | यदि ऐसा किया जाता है तो यही बेचैनी ब्यभिचारों हत्याओं आत्महत्याओं या अन्य प्रकार के अपराधों के रूप में विस्फोट करती है | लोग कहते सुने जाते हैं कि छोटे छोटे कारणों में बड़ी बड़ी घटनाएँ अपराध आदि घटित होते देखे जा रहे हैं ,जबकि यह सच नहीं है सच तो यह है कि लोग बड़ी बड़ी घटनाओं को मनों में दबाए बैठे होते हैं | उसका विस्फोट कब हो जाएगा किसी को पता नहीं होता है | प्राचीन काल में लोग ...