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Showing posts from March, 2022

अनुमान और पूर्वानुमान

  अनुमान और पूर्वानुमान       किसी भी विषय में लगाए जाने वाले  अनुमान या पूर्वानुमान दो प्रकार के होते हैं एक प्रत्यक्ष पूर्वानुमान और दूसरे परोक्ष पूर्वानुमान |  परोक्ष का आशय जो प्रत्यक्ष दिखाई न दे एवं नाक कान त्वचा जिह्वा आदि के द्वारा भी अनुभव न किया जा सकता हो वही परोक्ष होता है |          प्रत्यक्ष  कहने का आशय  केवल आँखों से दिखाई पड़ने वाला सच ही नहीं होता है अपितु  कुछ  कारण  ऐसे भी  होते हैं जिनमें आँख कान नाक त्वचा जीभ आदि से प्राप्त किए जाने वाले अनुभव भी प्रत्यक्ष प्रमाण ही माने जाते हैं|कई बार नाक से सूँघ कर,कान से सुनकर,जीभ से स्वाद लेकर,त्वचा से स्पर्श करके और आँख से देखकर भी कई प्रकार के अनुभव लिए जाते हैं | जिनके आधार पर कई प्रकृति और जीवन से संबंधित घटनाओं के विषय में  अनुमान या  पूर्वानुमान लगा लिया जाता है | भले ही वह बाद में सच न निकले |         अच्छी बुरी गंध तो सूँघने से ही पता लगती है वो आँख से तो दिखाई नहीं पड़ती | कुछ पशु प...

कोरोना रोग है या महारोग

  कोरोना रोग है या महारोग     किसी रोग का प्रकोप कुछ समय पहले की अपेक्षा बहुत अधिक होता तो उसे महामारी कहते हैं।महामारी किसी एक स्थान पर सीमित नहीं होती है। किन्तु यदि यह दूसरे देशों और दूसरे महाद्वीपों में भी पसर जाए तो उसे 'विश्वमारी' या 'सार्वदेशिक रोग' कहते हैं।     वस्तुतः रोग कोई छोटा या बड़ा नहीं होता अपितु जिस रोग को हम अच्छी प्रकार से जानते समझते हैं उसके लक्षणों  स्वभाव आदि से परिचित होते हैं उसके शुरू और समाप्त होने का कारण पता होता है उसके घटने और बढ़ने का कारण पता होता है उसके विषय में पूर्वानुमान पता होता है तथा उससे बचाव के लिए हमारे पास प्रभावी उपाय और औषधियाँ होती हैं |     ऐसे रोगों के प्रारंभ होते समय सतर्कता बरत कर हम अपने को बचा लेते हैं और यदि रोग हो भी जाते हैं किंतु  यदि औषधियों के उपयोग से अपने को स्वस्थ रखने में हम  सफल हो जाते हैं तो इसे रोग  कहा जा सकता है ऐसा न हो तो यही महारोग अर्थात महामारी होती है |      ऐसी परिस्थिति में सामान्य रोग और महामारियों  में सामान्...

अंतिम खंड फाइनल n 2 ( प्राकृतिक घटनाओं में कार्य और कारण !)

  प्रकृति और संगीत !    मौसम संगीत की तरह होता है ,संगीत तीन प्रकार का होता है -गायन ,बादन  और नर्तन  !( गीतं वाद्यं तथा नृत्यं त्रयं संगीत मुच्यते ।) प्राकृतिक संगीत में हवाएँ गीत जाती हैं ,बादल बाद्य बजाते हैं (मेघगर्जन) स्वर अनुकूल देखकर पृथ्वी नृत्य करने लगती है जिसे भूकंप कहा जाता है | भूकंप आने का वास्तविक कारण प्रकुपित वायु होता है जिस प्रकार से  नृत्यकला  में कुशल लोगों के पैर अच्छा गायन सुनते ही स्वतः थिरकने लगते हैं उसी प्रकार से वायु के सहयोग से पृथ्वी स्वतः थिरकने लगती है | इस प्राकृतिक संगीत महोत्सव का संयोजन उस चेतन  तत्व के द्वारा किया जाता है जिसने समस्त सृष्टि का निर्माण किया है |      जिस प्रकार से संगीत में अलग अलग स्वर निकालने के लिए अलग अलग प्रकार की प्रक्रिया अपनानी पड़ती है तबले में कहीं धीमे तो कहीं तेज कहीं हथेली का तो कहीं अँगुलियों का अलग अलग प्रकार से प्रयोग करना होता है | उस समय तबला बादक गीत का अनुशरण कर रहा होता है | इसलिए उसका  संपूर्ण ध्यान अच्छा स्वर निकालने पर होता है उ...