अनुमान और पूर्वानुमान किसी भी विषय में लगाए जाने वाले अनुमान या पूर्वानुमान दो प्रकार के होते हैं एक प्रत्यक्ष पूर्वानुमान और दूसरे परोक्ष पूर्वानुमान | परोक्ष का आशय जो प्रत्यक्ष दिखाई न दे एवं नाक कान त्वचा जिह्वा आदि के द्वारा भी अनुभव न किया जा सकता हो वही परोक्ष होता है | प्रत्यक्ष कहने का आशय केवल आँखों से दिखाई पड़ने वाला सच ही नहीं होता है अपितु कुछ कारण ऐसे भी होते हैं जिनमें आँख कान नाक त्वचा जीभ आदि से प्राप्त किए जाने वाले अनुभव भी प्रत्यक्ष प्रमाण ही माने जाते हैं|कई बार नाक से सूँघ कर,कान से सुनकर,जीभ से स्वाद लेकर,त्वचा से स्पर्श करके और आँख से देखकर भी कई प्रकार के अनुभव लिए जाते हैं | जिनके आधार पर कई प्रकृति और जीवन से संबंधित घटनाओं के विषय में अनुमान या पूर्वानुमान लगा लिया जाता है | भले ही वह बाद में सच न निकले | अच्छी बुरी गंध तो सूँघने से ही पता लगती है वो आँख से तो दिखाई नहीं पड़ती | कुछ पशु प...